“यदि आप वही करते हैं, जो आप हमेशा से करते आये हैं तो आपको वही मिलेगा, जो हमेशा से मिलता आया है!!” — टोनी रॉबिंस

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सचिन तेंदुलकर एक आम इंसान नहीं हैं -

poster of sachin tendulkar    

 
Image source - google.com
 विश्व क्रिकेट की जब शुरुआत हुई तो किसी ने नहीं सोचा था कि एक ऐसा शख़्स भविष्य में इस खेल से जुड़ने वाला है जो इसे इसकी वास्तविक बुलंदियों तक पहुंचाने में सफल होगा। जब भी क्रिकेट का सम्पूर्ण इतिहास लिखा जाएगा तो उस इतिहास का सबसे मुख्य किरदार होगा 'सचिन तेंदुलकर।"
   
  बात करें डॉन ब्रैडमैन की तो वो 'ब्लैक एंड वाइट' टाइम के हीरो थे , जिस परम्परा को आगे बढ़ाया सुनील गवास्कर ने। लेकिन रंगीन जर्सी के साथ क्लासिकल क्रिकेट को जिस व्यक्ति ने बुलंदियों में पहुँचाया वो हैं 'द लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर'। 
       महाराष्ट्र से निकल एक 15 साल का लड़का जब पाकिस्तान के खिलाफ पाकिस्तान में क्रिकेट मैच में बैटिंग करने उतरता है तो उसके सामने उस समय के सबसे कामयाब गेंदबाजों की जोड़ी थी। और बकार यूनुस की गेंद जब उस बच्चे की नाक पर लगती है तो नाक से खून के फव्वारे निकल जाते हैं तब दूसरे छोर पर खड़े नवजोत सिंह सिद्धू जाकर पूंछते हैं तो वो बच्चा कहता है "मै खेलेगा" .बस फिर क्या था। फिर कहानी शुरू होती है एक आमव्यक्ति के भगवान बनने की।  कहानी जो फिल्मों की स्क्रिप्ट की तरह नहीं लिखी गई,ये कहानी उन क्रिकेटिंग शॉर्ट्स और बड़े-बड़े गेंदबाजों अकरम,यूनुस खान.मैग्राथ,अख्तर जैसे कईयों की बॉल को मार-मारकर धागे खोल देने के दम पर लिखी गई है। 
      सचिन ने क्रिकेट के साथ भारत को विश्व भर में पहचान और भारत के युवाओं को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की कला सिखायी। जब 1992 के दौर में भारत की इकॉनमी क्लोस्र्ड से ओपन की गई तो विश्व भर की कंपनियों को भारत में अपने प्रोडक्ट के प्रचार-प्रसार के लिए एक चेहरे की जरूरत थी और ये चेहरा था 'सचिन तेंडुलकर' ,फिर भारत ने सचिन के स्प्रिट और उनके क्रिकेटिंग सेंस के दम पर धोनी व कोहली जैसे क्रिकेटर दिए जिन्होंने सचिन की विरासत को संभाल कर रखा है और उसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचा रहें हैं।