“यदि आप वही करते हैं, जो आप हमेशा से करते आये हैं तो आपको वही मिलेगा, जो हमेशा से मिलता आया है!!” — टोनी रॉबिंस

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आखिर में क्यों आज़ादी के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कांग्रेस को ख़त्म करना चाहते थे ?

आखिर में क्यों आज़ादी के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कांग्रेस को ख़त्म करना चाहते थे ? -
    

                जब देश को आजादी मिली तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सबसे पहले कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा देते हुए कहा था "कांग्रेस पार्टी को अब खत्म कर देना चाहिए, क्योंकि इसका गठन आजादी के आंदोलन के लिए एक संगठन के रूप में हुआ था।"
Mahatma gandhi & Indian national Congress

           हालांकि कांग्रेस को खत्म तो नहीं किया गया, लेकिन बार-बार इस बात की चर्चा जरूर होती रही कि आखिर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ऐसा क्यों कहा था?- शायद, महात्मा गांधी ने कांग्रेस के इन नापाक इरादों को पहले ही भांप लिया था जो कांग्रेस आजादी के बाद भारत में राज करने वाली थी ।

पॉइंट 1 -

Scams and scandals in india

कांग्रेस के कुछ नेताओं को छोड़कर ज्यादातर नेता सत्ता और पद के लालच में कुछ भी करने को तैयार थे | भारत जैसे एक महान देश में कांग्रेस के नेताओं ने ही भ्रष्टाचार और घोटालों की शुरुआत की थी (जीप स्कैंडल)। और इसके बाद तो कांग्रेस ने घोटालों का एक पूरा क्रम शुरू कर दिया । साइकिल स्कैम, मुंदडा स्कैम, तेजा लोन स्कैम,मारुति विवाद, बोफोर्स घोटाला, एयर इंडिया घोटाला ,यूरिया घोटाला, सत्यम घोटाला,2जी स्पेक्ट्रम घोटाला,कोयला  घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड घपला और न जाने क्या-क्या ।


पॉइंट 2 -

Indira gandhi

फिर देश ने आजादी के बाद अभी तक का इतिहास का सबसे काला दिन देखा, जब कांग्रेस की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर इस देश के संविधान की धज्जियां उड़ा दी थीं, लेकिन फिर ऐसा लगा कि ये देश संभल रहा है। लेकिन सच तो ये है कि कभी गरीबी के बहाने, कभी तुष्टिकरण के बहाने, कभी आरक्षण के बहाने तो कभी समाज को तोड़ने-जोड़ने के बहाने कांग्रेस के नेताओं ने हमेशा देश का बेड़ा गर्क ही किया है। बेहद निर्मम तरीके से लोगों की जबरन नसबंदी की गयी जिसमे हजारों लोगों की मौत हो गयी ।

पॉइंट 3-

rss sammelan

इन्ही कांग्रेस के नेताओं ने आरएसस की तुलना ISIS से की थी । ये बात सही है कि हर संस्था की अपनी विचारधारा होती है। हर संस्था को मानने वाले लोग होते हैं, तो विरोध करने वाले भी होते हैं। लेकिन क्या कभी RSS पर इस देश में ISIS जैसे संगीन आरोप लगाने चाहिये । यही कांग्रेस के लोग हिन्दुओं को आतंकवादी मानते हैं ।
                      हां, ये बात सच है कि आरएसस पर दो बार पाबंदी लगी। लेकिन दोनों ही बार देश की सर्वोच्च अदालत से RSS को सभी आरोपों से बरी किया। ऐसे में ISIS से आरएसस की तुलना करना न सिर्फ मूर्खता की निशानी है अपितु यह भी दिखाता है कि बदले और बंटवारे की राजनीति कांग्रेस के DNA में है | 


पॉइंट 4 -
Congress in parliament for rohingyas

कांग्रेस के ही नेता रोहिंग्या के लिए संसद भवन और सुप्रीमकोर्ट में चीखते-चिल्लाते हैं ,लेकिन कश्मीरी पंडितों के लिए इनके पास करने को कुछ नहीं है | आज रोहिंग्या इनके अपने हो गए और इस देश के निवासी इनके लिए गैर हो गए | ये सोचने की जरूरत है कि यदि भारत के लोग भारत में सुरक्षित नहीं हैं तो कहाँ होंगे ?


पॉइंट 5 -
Shahbano and PM Rajiv gandhi

शाहबानो कांड कोई भूल सकता है, जब इसी कांग्रेस ने एक बार फिर से संविधान की आत्मा का कत्ल कर दिया था। राजनीति में विरोध-प्रतिरोध होते रहते हैं , लेकिन राजनीतिक विरोध करते हुए ऐसी चीजों को भी आप करने से नहीं डरते जिससे ये प्रतीत होने लगता है कि आप देश विरोधी काम कर रहे हो ,लेकिन इससे आगे बढ़ते हुए देश विरोध की चीजों में अगर कांग्रेस शामिल नजर आए तो ये बर्दाश्त से बाहर है।


पॉइंट 6 -

Gandhi family in congress

सबसे बड़ी बात वंशवाद की राजनीति की है ,कांग्रेस विश्व की मात्र एक ऐसी पार्टी है जिसमे एक ही परिवार(नेहरू-गांधी) के हाथों में सम्पूर्ण सत्ता की बागडोर रहती है ।  प्रधानमंत्री हो या कोई अन्य व्यक्ति वो परिवार के हाथों की कठपुतली होता है । ये लोकतंत्र के नाम पर केवल देश को मूर्ख बनाने का काम करते हैं ।
          नहीं तो सोचने वाली बात है कि क्या राहुल गांधी से योग्य व्यक्ति कांग्रेस पार्टी में नहीं है ?


पॉइंट 7 -

JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY

जिस जेएनयू में देशद्रोह के नारे लगे, जहां देश को बर्बाद करने की कसमें खाई गईं, जिस परिसर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाई गईं। उसी JNU में राहुल गांधी पहुंचकर उन छात्रों के साथ खड़े होकर समर्थन करते दिखे। यह बात सच है कि अभिव्यक्ति की आजादी होनी चाहिए।


Rahul gandhi in JNU

लेकिन क्या राहुल गांधी ने एक बार भी इस बात की शिकायत की या फिर इसके खिलाफ उतने मुखर दिखे कि देशद्रोह के नारे लगाने वालों के खिलाफ सख्ती बरतनी चाहिए ताकि इस देश में आने वाला कोई भी शख्स अपनी ही भारत मां के सौ टुकड़े करने की बात कभी भी न सोच सके।

    


                    इसके अलावा कांग्रेस के सत्ता में  50 वर्षों से ज्यादा रहने के बाद भी स्वच्छता ,मेक इन इंडिया जैसे हजार कामों पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया ?