ARTICLE 370 IN JAMMU AND KASHMIR |
धारा 370 भारतीय संविधान की एक विशेष धारा है। जो जम्मू कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले एक विशेष अधिकार प्रदान करती है। जिसके अंतर्गत जम्मू कश्मीर के लोग न सिर्फ कश्मीर में अपितु देश के किसी भी भाग में संपत्ति की खरीद-फरोख्त कर सकते हैं। परंतु देश के अन्य राज्य के निवासियों को कश्मीर में किसी भी तरह की संपत्ति खरीदने का अधिकार प्राप्त नही है। जो भारतीय संविधान की धारा 14 , 19 व 21 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है।
सन् 1954 में नेहरू जी के सुझाव पर तत्काल राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने धारा 370 को कश्मीर मे लागू किया।धारा को लागू करने का उद्देश्य कश्मीर की हालत मे सुधार व उसके संविधान को मज़बूत बनाना था। भारतीय संविधान में यह एक अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध सम्बन्धी भाग 21 का अनुच्छेद 370 नेहरू जी के विशेष हस्तक्षेप से लाया गया था।
कश्मीर के हालात |
परंतु कश्मीर के बदलते व बिगड़ते हालातों ने इसके अस्तित्व को सवालों के घेरे मे खड़ा कर दिया है। आज यह हर राजनीतिज्ञ की जु़बान पर पहला सवाल है व गंभीर चर्चा का भी विषय है। जहाँ केन्द्रीय सरकार इसे हटाने के पक्ष मे है तो कश्मीर के अलगाववादी नेता सरकार के इस निर्णय का सख़्त विरोध कर रहे हैं।10 हज़ार से ज्यादा जवान मारे जा चुके हैं।परन्तु उनका मानना है कि किसी भी तरह का बदलाव कश्मीर की संस्कृति को नुकसान पहुँचा सकता है क्योंकि कश्मीर भारत का अकेला ऐसा राज्य है जहाँ मुस्लमानों की आबादी सबसे ज़्यादा है। तो वहीं कुछ गैर सरकारी संगठनों का मानना है कि यह भारत देश की एकता व अखंडता के खिलाफ है।
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धारा 370 के तहत रक्षा ,विदेश या वित्त से जुड़े मुद्दों को छोड़कर अन्य विषयों पर संसद को कश्मीर की राज्य विधायिका से परामर्श करना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त कश्मीर में वित्तीय आपातकाल लागू करने ,सीमा का दायरा बढ़ाने ,अवशिष्ट अधिकार एवं नज़रबंदी से जुड़े कानून बनाने का अधिकार केवल कश्मीर की सरकार व राज्य विधायिका का है।यहाँ तक कि भारतीय संविधान के भाग 4 में प्रकाशित निर्देशक सिद्धांत भी कश्मीर मे माननीय नही है। यही नही यदि कश्मीर की कोई महिला निवासी राज्य से बाहर किसी गैर आवासीय नागरिक से विवाह करती है तो उससे उसके संपत्ति से जुड़े अधिकार छीन लिए जाते हैं।
कश्मीर की राजनीति के अहम् हिस्सेदार राजनीतिज्ञ |
कश्मीर मे बिगड़ते हालातों को देखकर कानूनी बदलाव लाना अनिवार्य हो गया है। यह कदम न केवल कश्मीर के वातावरण मे सकरात्मक बदलाव लाने मे मददगार साबित होगा अपितु वहाँ बढ़ रही आतंकी गतिविधियों को रोकने मे भी सक्षम होगा।इससे न केवल महिलाओं को उनका हक मिलेगा अपितु उनके अधिकारों से जुड़ी समस्याओं का भी निवारण हो सकेगा। कश्मीर मे विभिन्न धर्म के नागरिकों के बसने से आपसी भाईचारे को बढ़ावा मिलेगा व धर्म द्वेष भी खत्म होगा।इस प्रकार कोई भी देश विरोधी कश्मीर के पूर्ण रूप से भारत का हिस्सा होने पर कोई सवाल नही उठा सकेगा और कश्मीर मे फिर से अमन व शांति की स्थापना हो सकेगी।
इसके साथ सरकार को चाहिए कि वह इस बात का ध्यान रखें कि कश्मीर के लोगों के वर्तमान से जुड़े अधिकारों को भी आहत न पहुँचे ताकि वह खुशी-खुशी इस बदलाव को अपना सकें। अतः अधिरकार की रक्षा के साथ देश की आतंरिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार को एक बड़ा फैसला लेने की जरूरत है; ताकि एक राष्ट्र और एक विधान का पालन हो। साथ ही विश्व शक्ति बनने की इच्छा रखने वाला भारत अपने मानव संसाधन की रक्षा करते हुए विकास पथ पर तेज़ी से बढ़ सके।
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