G–20 देश |
G–20 की शुरुआत, 1999 में एशिया में आए वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों की बैठक के तौर पर हुई थी। वर्ष 2008 में G–20 के नेताओं का पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था और समूह ने वैश्विक वित्तीय संकट का जवाब देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसकी निर्णायक और समन्वित कार्रवाई ने उपभोक्ता और व्यापार में भरोसा रखने वालों को शक्ति दी और आर्थिक सुधार के पहले चरण का समर्थन किया। G–7 देशों के वित्त मंत्रियों ने G–20 का गठन एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय मंच के तौर पर किया था जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के साथ ब्रेटन वुड्स संस्थागत प्रणाली की रूपरेखा के भीतर आने वाले व्यवस्थित महत्वपूर्ण देशों के बीच अनौपचारिक बातचीत एवं सहयोग को बढ़ावा देता है। G–20 के सदस्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का करीब 85%, वैश्विक व्यापार के 75% और विश्व की आबादी के दो– तिहाई से अधिक का प्रतिनिधित्व करते हैं। अतः यह विश्व के सबसे प्रभावशाली संगठनों में से एक है, जिसके निर्णय सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करता है।
जापान में G-20 |
G–20 के सदस्य – अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, मैक्सिको, रूस, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ।
ब्रिक्स देश |
हांलही में जापान में G-20 की बैठक आयोजित की गयी। जिसमे भारत का प्रतिनिधित्व खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। मोदी के साथ विदेश मंत्री एस.जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार A. डोभाल भी नजर आये। यह माना जा रहा था कि मोदी और इमरान खान की मुलाकात सकती है; लेकिन भारत सरकार ने यह साफ़ कर दिया था कि फिलहाल ऐसा कोई प्रोग्राम नहीं है। इसके बाद जापान जहाँ इस बैठक में प्रदूषण,कचरा प्रबंधन ,आतंकवाद के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करना चाहता था ;वहीँ पूरी बैठक अमेरिका-चाइना टैरिफ वार पर ही केंद्रित होकर रह गया। साथ ही बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कई देशों के साथ द्विपक्षी और ब्रिक्स देशों के साथ बैठक करके आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरने का प्रयास किया। साथ ही बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान रहे, जो ओपनिंग सेरेमनी में वैश्विक नेताओं से मिलने की जगह अपनी ही कुर्सी में चिपके नजर आये।
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