ये वादों का कारवां कब तक यूं ही चलता रहेगा ?-
जनता फिर मूर्ख बन सब देखती रही और कांग्रेस सत्ता के नशे में डूबी, फिर से जनता को 2009 में मूर्ख बनाने का रास्ता खोजने लगी ।
कांग्रेस ने एक बार फिर अपने युवा नेता राहुल गांधी के पूर्णनेतृत्व में चुनाव लड़ा | कांग्रेस ने जनता को सपना दिखया क्वालिटी युक्त शिक्षा प्रणाली,रोजगार।
कांग्रेस के इन वादों को सुन जनता में एक नया जोश आ गया और कांग्रेस ने ये समझ लिया की तीर एक दम निशाने पर लगा है | फिर उसने खेला उस समय का अपना मास्टर जुमला 'महँगाई कम करने का'| बस क्या था जनता आई कांग्रेस के झांसे में और कांग्रेस का स्कोर कार्ड 2004 में जो 145 था वो बढ़ कर 206 हो गया क्योंकि ये कम आय वाली गरीब जनता ये सोच रही थी कि शायद इस बार कांग्रेस जीजा के साथ उनके लिए भी कुछ करेगी, लेकिन कांग्रेस को आजादी के साथ ही पता था कि भारतीय जनता से वोट कैसे लेने हैं? उसने जनता से किये गए वादों के बदले जनता को दिया 2G ,कोयला जैसे बड़े घोटाले। और एक बार फिर जनता जो उस समय महँगाई की मार झेल रही थी ;अब वादों के टूटने के गम में डूब गई | बोला न भारतीय राजनीति वादों का कारवां है जो आजादी के बाद से ही ज्यों का त्यों चला आ रहा है ;गरीबी मिटने के दम पर तब भी चुनाव लड़ा जाता था और आज भी।
और इधर भाजपा में भी बड़ी तेज़ी से बदलाव आ रहा था लालकृष्ण आडवाणी की जगह अब जनता से वादे करने का जिम्मा नरेंद्र मोदी ने थामा 2014 में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा और भारी बहुमत हांसिल किया।
वजहें साफ़ थी कांग्रेस के जुमलों से बेहाल जनता को लगा कि अब उनका मसीहा आ गया है ; बीजेपी ने जनता को दिखाए बड़े-बड़े सपने जैसे-2 करोड़ रोजगार हर साल, मेक इन इंडिया और भी बहुत कुछ था बीजेपी के पैकेज में। जनता अब फूली नहीं समा रही थी और उसने मोदी के नाम पर भाजपा की नइया पार लगा पूर्ण बहुमत दिया। मोदी एंड कंपनी को भी समझ में आ गया कि ये भारतीय जनता है 'इन्हे आप जुमलों पर ही खुश' रखो। फिर राजकोषीय घाटा झेल रही सरकार के साथ माल्या ,नीरव जैसे लोगों ने कांड कर सरकार के साथ करोड़ों-करोड़ जनता को चूना लगा विदेश निकल गए। बस तब से सरकार के साथ पूरी जनता उनकी राह देख रही है.... ....
अब ये वादों का कारवां आ पहुंचा है 2019 के आम चुनाव में जहाँ इस मोबाइल क्रांति के दम पर अभी-अभी स्मार्ट माने जाने वाली जनता को अपने एक्स्ट्रा स्मार्ट तरीकों से राजनीतिक दल 72000 और 6000 देने के दम पर मूर्ख बना ,वादों के इस परम्परारुपी कारवां को जारी रखना चाहतें हैं।
जनता फिर मूर्ख बन सब देखती रही और कांग्रेस सत्ता के नशे में डूबी, फिर से जनता को 2009 में मूर्ख बनाने का रास्ता खोजने लगी ।
कांग्रेस ने एक बार फिर अपने युवा नेता राहुल गांधी के पूर्णनेतृत्व में चुनाव लड़ा | कांग्रेस ने जनता को सपना दिखया क्वालिटी युक्त शिक्षा प्रणाली,रोजगार।
कांग्रेस के इन वादों को सुन जनता में एक नया जोश आ गया और कांग्रेस ने ये समझ लिया की तीर एक दम निशाने पर लगा है | फिर उसने खेला उस समय का अपना मास्टर जुमला 'महँगाई कम करने का'| बस क्या था जनता आई कांग्रेस के झांसे में और कांग्रेस का स्कोर कार्ड 2004 में जो 145 था वो बढ़ कर 206 हो गया क्योंकि ये कम आय वाली गरीब जनता ये सोच रही थी कि शायद इस बार कांग्रेस जीजा के साथ उनके लिए भी कुछ करेगी, लेकिन कांग्रेस को आजादी के साथ ही पता था कि भारतीय जनता से वोट कैसे लेने हैं? उसने जनता से किये गए वादों के बदले जनता को दिया 2G ,कोयला जैसे बड़े घोटाले। और एक बार फिर जनता जो उस समय महँगाई की मार झेल रही थी ;अब वादों के टूटने के गम में डूब गई | बोला न भारतीय राजनीति वादों का कारवां है जो आजादी के बाद से ही ज्यों का त्यों चला आ रहा है ;गरीबी मिटने के दम पर तब भी चुनाव लड़ा जाता था और आज भी।
और इधर भाजपा में भी बड़ी तेज़ी से बदलाव आ रहा था लालकृष्ण आडवाणी की जगह अब जनता से वादे करने का जिम्मा नरेंद्र मोदी ने थामा 2014 में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा और भारी बहुमत हांसिल किया।
वजहें साफ़ थी कांग्रेस के जुमलों से बेहाल जनता को लगा कि अब उनका मसीहा आ गया है ; बीजेपी ने जनता को दिखाए बड़े-बड़े सपने जैसे-2 करोड़ रोजगार हर साल, मेक इन इंडिया और भी बहुत कुछ था बीजेपी के पैकेज में। जनता अब फूली नहीं समा रही थी और उसने मोदी के नाम पर भाजपा की नइया पार लगा पूर्ण बहुमत दिया। मोदी एंड कंपनी को भी समझ में आ गया कि ये भारतीय जनता है 'इन्हे आप जुमलों पर ही खुश' रखो। फिर राजकोषीय घाटा झेल रही सरकार के साथ माल्या ,नीरव जैसे लोगों ने कांड कर सरकार के साथ करोड़ों-करोड़ जनता को चूना लगा विदेश निकल गए। बस तब से सरकार के साथ पूरी जनता उनकी राह देख रही है.... ....
अब ये वादों का कारवां आ पहुंचा है 2019 के आम चुनाव में जहाँ इस मोबाइल क्रांति के दम पर अभी-अभी स्मार्ट माने जाने वाली जनता को अपने एक्स्ट्रा स्मार्ट तरीकों से राजनीतिक दल 72000 और 6000 देने के दम पर मूर्ख बना ,वादों के इस परम्परारुपी कारवां को जारी रखना चाहतें हैं।