“यदि आप वही करते हैं, जो आप हमेशा से करते आये हैं तो आपको वही मिलेगा, जो हमेशा से मिलता आया है!!” — टोनी रॉबिंस

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हनुमान की प्रासंगिकता

 
  जिस तरह से आज का माहौल बदल रहा है आये दिन राम के नाम का मुखौटा पहने राजनीति  के  भद्र लोग जो राजनीति  के नाम पर केवल जनता को मूर्ख बना रहें हैं ; न उनकी सोच देश हितार्थ में है और ना ही समाज हित में | अपने मतलब की रोटी सेकने वाले ये लोग आज़ादी और लोकतंत्र के नाम पर ये लोग सिर्फ जनता को ठगने का काम कर रहें हैं | विभिन्न योजनाओं में कमीशन खाना और भ्रष्टाचार करना इनके लिए सामान्य बात हो गई है | यदि आप भारतीय राजनीति के इतिहास पर नजर डालेंगे तो आपको पं. नेहरू से लेकर मोदी तक के युग में एक से बढ़ कर एक कलकार लोग मिल जाएंगे;जिनके पास चोरी करने और भ्रष्टाचार करने के एक से एक तरीके हैं | किसी ने मारुति कार में घोटाला किया ,तो कोई चिट फंड के नाम पर जनता का पैसा लेकर भागा ,किसी ने कोयला खाया तो जानवरों के चारे तक को नहीं छोड़ा गया | बाकी आप 2G ,बैंक घोटाला भी याद कर सकते हैं |
     रही बात 'गांधी के धर्म की राजनीति' की तो ये वर्तमान भारतीय समाज से बहुत दूर है क्योंकि आज लोकतंत्र के नाम पर भारत में माफियातंत्र है और राजनेता के नाम पर माफिया व गुंडे घर-घर जाकर इस चुनावी महापर्व पर लोगों को वोट देने के नाम पर डराते-धमकाते हैं | बात करें 16वीं लोकसभा की तो 36%राजनेता जो सांसद बन देश की सेवा के लिए दिल्ली गए हुए थे असल में वो किसी न किसी गंभीर आरोप में बाहर है और अपने अगले शिकार को ढूंढ रहें है | आज फिर  हनुमान की जरूरत है जो गांधी के रामराज्य की कल्पना को सच बनाने के लिए जनता का मार्गदर्शन कर सके |