“यदि आप वही करते हैं, जो आप हमेशा से करते आये हैं तो आपको वही मिलेगा, जो हमेशा से मिलता आया है!!” — टोनी रॉबिंस

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कांग्रेस-बीजेपी का गठबंधन

 
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  अभी तक हम चुनाव के नकारत्मक पक्षों पर काफी चर्चा करते आये हैं, हमने रेडियो व टी.वी. पर इस पर काफी चर्चाएं भी सुनी हैं ;लेकिन इन सब के बीच जो एक अच्छी बात है चुनाव होने की वो है विचारों का मिलन । 

   दक्षिण हो या वाम 
पूँजी दोनों को ले थाम।।

अरे! दक्षिण हो या वाम
हमको जीतने से काम।।

दक्षिण-वाम को विचारधाराएं नही,चुनाव मिला देती हैं।
धाराएं झगड़ा कराती हैं,चुनाव मिलन।

 हम जानते हैं हर व्यक्ति के अपने-अपने विचार होते हैं और कुछ मिलते-जुलते विचार वाले लोग मिलकर पार्टी या ग्रुप का निर्माण करते हैं। फिर ये पार्टियां आश्चर्यजनक रूप से प्रदेश या देश में विस्तार करके,लोगों के हित की घोषणा करके चुनाव लड़ती हैं और फिर धीरे-धीरे जनता इनके महत्वपूर्ण विचारों से जागरूक होकर एक होने लगती है तो इन पार्टियों को अपना रोजगार खतरे में प्रतीत होता है फिर ये नया खेल शुरू करती हैं गठबंधन का। उसके आगे का खेल शुरू होता है मेल-मिलाप का।  फिर क्या जनता, क्या देश ? सभी भावनाओं से परे ये पार्टियां केवल ध्यान देती हैं सरकार बनाने और जनता को लुटने पर। इस गठबंधन के दौर में जिस तरह पार्टियां एक-दूसरे से मिल देश की रक्षा का अलाप लगाती हैं ,उससे एक बात तो साफ़ पता चलती है कि देश की रक्षा हो या न हो इनकी रक्षा आने वाले अगले चुनाव तक जरूर हो जाती है। 
   यदि कार्ल मार्क्स आज जिन्दा होते तो मार्क्सवाद का गठजोड़ और पनपती नई विचारधारा को देखकर अपना सर पीट लेते। जिस तरह से मार्क्सवादी कांग्रेस की ओर प्रेमभरे फरमान भेज रहें हैं वो मार्क्सवाद के वृहद अस्तित्व के लिए कभी सही नहीं माना जा सकता। 
  बाकी, आप तैयार बैठिये वो दिन दूर नहीं हैं जब कांग्रेस और भाजपा भी गठबंधन करके देश बचाने का राग अलापेंगी। ये चुनाव के फायदे हैं देश में अलग मत रखने वाले लोग जो एक-दूसरे को जिन्दा नहीं देखना चाहते, अपनी पार्टी सहित एक-दूसरे से गठजोड बनाकर आपका और देश का विकास करना चाहते हैं।  क्योंकि इन्हे मालूम है कि हमसब शुरू से गुलाम रहें हैं, हमारे पुरखे भी गुलाम थे। इसलिए अनुवांशिक रूप से गुलाम हम लोग अपने लिए कुछ नहीं कर सकते ;जिससे ये गिने-चुने महान लोग जो कभी माफिया व गुंडे थे,पैसों के दम पर हमारे लिए चुनाव लड़ते हैं। और फिर गठबंधन करते हैं। ये है विकसित होते लोकतंत्र का स्वरुप।