एक सादे से आम जीवन के पहलुओं को भी अगर कोई शायरी में या तो किसी कविता में उतार दे असल में वही तो असली शायर है, talk0talk आपके लिए लाया है बशीर बद्र जी की वो ग़ज़लें जो आपके दिल में उतर जाएँगी क्या प्रेम क्या दीवानापन वाह ! क्या खूब लिखा है।
इश्क के कुछ लफ्ज़ ज़ुबान पर चढ़ जाए ! चलिए इन्हे सुनते हैं .....
क्योंकि अंदाज़ शायराना है ...
दो ग़ज़ल आपके सामने पेश है
वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिये बनाया है
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिये बनाया है
महक रही है ज़मीं चांदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मुहब्बत पे मुस्कुराया है
ख़ुदा किसी की मुहब्बत पे मुस्कुराया है
उसे किसी की मुहब्बत का ऐतबार नहीं
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है
तमाम उम्र मेरा दम उसके धुएँ से घुटा
वो इक चराग़ था मैंने उसे बुझाया है
वो इक चराग़ था मैंने उसे बुझाया है
- बशीर बद्र
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ना मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी ना मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी ना मिला
घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी ना मिला
बहुत तलाश किया कोई आदमी ना मिला
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड आया था
फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी ना मिला
फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी ना मिला
बहुत अजीब है ये कुरबतों की दूरी भी
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी ना मिला
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी ना मिला
खुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैंने
बस एक शख्स को मांगा मुझे वही ना मिला
बस एक शख्स को मांगा मुझे वही ना मिला
- बशीर बद्र
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