एक्ट्रेस हुमा कुरैशी ने 'लीला' वेब सीरीज से डिजिटल डेब्यू किया है। मतलब नेटफ्लिक्स की लीला वेब सीरीज जो प्रयाग अकबर की बुक 'लीला' पर बेस्ड है; अब दर्शकों लिए उपलब्ध है। सीरीज में कुल 6 भाग हैं। ट्रेलर ने दर्शकों की बेचैनी बढ़ा दी थी।
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हुमा कुरैशी |
इसका डायरेक्शन दीपा मेहता, शंकर रमन और पवन कुमार ने किया है। 'सेक्रेड गेम्स' के दूसरे सीजन से पहले नेटफ्लिक्स ने दर्शकों का मूड ठीक करने का प्रयास किया है। मसलन भारतीय सिनेमा से लेकर वेबसीरीज तक सभी दमदार किरदार और आकर्षित कहानी की मार के दौर गुजर रहे हैं ,जिसमे सेक्रेड गेम्स,लीला जैसी सीरीज और नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी,हुमा कुरैशी जैसे कलाकारों ने दर्शकों बांधकर रखने में सफलता बनाकर रखी है। साफ़-साफ़ शब्दों में कहें तो सीरीज़ की कहानी भी दमदार है और लीड रोल कर रहीं हुमा की एक्टिंग भी बहुत बढ़िया है। |
कहानी कुछ इस तरह है कि सीरीज में शालिनी अर्थात हुमा एक ऐसी लड़की के किरदार हैं जो अपनी खुशहाल शादीशुदा जीवन व्यतीत कर रही होती हैं ;लेकिन जल्द ही शालिनी का परिवार शुद्धतावादियों के निशाने पर आ जाता है क्योंकि शालिनी ने एक मुस्लिम लड़के रिजवान से शादी की हुयी है।
अब शालनी की लड़की अर्थात 'लीला' को किडनैप कर लिया जाता है। सीरीज में शालिनी अपनी बेटी लीला को ढूढ़ने के लिए जद्दोजहत कर रही हैं। कहानी में इसके साथ ही कई उतार चढ़ाव है। साथ ही शालिनी की लाइफ में भी बहुत बदलाव आता है।अदाकारी के मामले में हुमा कुरैशी की अदाकारी का ये मील का पत्थर है। शालिनी के किरदार में वह खुद को खो देती हैं। सिद्धार्थ ने भी अच्छा काम किया है। राहुल खन्ना का किरदार उतना लंबा नहीं है, पर वह अपना प्रभाव छोड़ते हैं।
अब बात करते हैं सीरीज के "आर्यावर्त" की। आपको बता दें, आर्यावर्त भारत का ही एक नाम है;जो वेद,पुराण और हिन्दू ग्रंथों में खूब प्रचलित था। कई मीडिया चैनलों और जानकारों का मानना है कि सीरीज के माध्यम से भविष्य के भारतीय समाज की तस्वीर प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। लेकिन ये बात एक सहिष्णु समाज के गले से न उतरने वाली बात जैसी है ;यद्पि ये भगवा दौर चल रहा है ,दक्षिणपंथी विचारधारा हावी है लेकिन रक्त की शुद्धतावादी और घर वापसी के नाम पर इतना घिनौना चरित्र समाज प्रस्तुत नहीं कर सकता।
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भारतीय समाज की तस्वीर |
अतः ये बात बेबुनियाद साबित होती है कि सीरीज में भविष्य के भारत की तस्वीर दिखाने प्रयास है। ये एक ऐसा समाज है जो कि एक ही समय में बुद्ध और गांधी की अहिंसा की विचारधारा के साथ अशोक और सुभाषचंद्र बोस के विजय सिद्धांत को भी स्वीकार करता है। अतः घर वापसी और धर्मपरिवर्तन के नाम पर कितने ही घिनौने प्रयास हों, लेकिन उन नाकारत्मक शक्तियों को उचित ज़वाब देने के साथ समाज
"अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्। " का सन्देश भी देता है।
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