“यदि आप वही करते हैं, जो आप हमेशा से करते आये हैं तो आपको वही मिलेगा, जो हमेशा से मिलता आया है!!” — टोनी रॉबिंस

talk 0 talk

बंगाल और "श्री राम" अलग हैं:अमर्त्य सेन

image of amartya sen
amartya sen slams on jai shri ram in bengal (image: janta ke reporter)

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने शुक्रवार को कहा कि "जय श्री राम" कभी भी पश्चिम बंगाली संस्कृति का हिस्सा नहीं था और इसका इस्तेमाल लोगों को पीटने के लिए किया जाता है। यह माँ दुर्गा हैं जो बंगालियों के जीवन में सर्वव्यापी हैं, सेन ने यह सब जादवपुर विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा।





उनका यह बयान काफी विवादस्पद माना जा रहा है।
उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि उन्होंने इस से पहले "राम नवमी" का नाम तक नहीं सुना था, लेकिन आज यह समाज में लोकप्रिय होता जा रहा है। सेन जब उन्होंने अपनी 4 साल कि पोती से पूछा कि उसके पसंदीदा भगवान कौन हैं तो उनकी पोती ने कहा " दुर्गा माँ"। उनके अनुसार यह दर्शाता है कि माता दुर्गा हम सब के जीवन में शामिल हैं.

image of amartya sen in press conference in kolkata
amartya sen in press conference in kolkata (image: google)

सेन कि यह टिपण्णी उस समय आयी है, जब देश के विभिन्न हिस्सों से 'जय श्री राम' का नारा ना लगाने पर पीटने कि खबर आ रही है। हालाँकि अमर्त्यसेन ये भूल गए कि श्रीराम देश के एक बड़े वर्ग के श्रद्धेय हैं और उनके इस बयान से उनको ठेस पहुँच सकती है।अब उनके बयान पर सियासत भी शुरू हो चुकी है। अमर्त्य सेन की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि सेन राज्य की जमीनी सच्चाई से अलग हो चुके हैं  क्योंकि वह यहां रहते नहीं हैं और ना हीं काम करते हैं। दिलीप आगे बोले  "उन्हें(सेन) न तो बंगाली संस्कृति और न हीं भारतीय संस्कृति का ज्ञान है। उसके लिए यहां के लोगों के साथ रहने की जरूरत है। जब पूरा पश्चिम बंगाल जय श्री राम का नारा लगा रहा है, तो वह इंकार कर रहे हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि लोगों ने उनकी  विचारधारा को खारिज कर दिया है। बंगाल के लोगों ने कम्युनिस्ट-समर्थक धर्मनिरपेक्षतावादियों को खारिज कर दिया है और सुनिश्चित किया कि पूरे राज्य में केवल जय श्री राम ही गूंजें।"



केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा, मैं नोबेल पुरस्कार जीतने और बंगालियों को गौरवान्वित करने के लिए श्री सेन को बधाई देना चाहता हूं। हर कोई अपनी विचारधारा पर विश्वास करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन हम जो कहते हैं उसके लिए सभी को खुद जिम्मेदार होना चाहिए। उन्होंने गरीबी को परिभाषित किया है, मुझे नहीं पता कि वह संस्कृति को परिभाषित करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं। उनके बयान में  ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे हमें उनकी द्वारा दी गयी बंगाली संस्कृति की परिभाषा को स्वीकार करना पड़े। भाजपा किसी को 'जय श्री राम' का जाप करने के लिए मजबूर नहीं कर रही है।

श्री सेन के बयान से सियासी गलियारों में सरगर्मी तेज़ हो गयी हैं। एक बार फिर से बंगाल की राजनीति गरमा गयी है।

आपका उनके बयान पर क्या सोचना है? हमे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ