बीते शनिवार का दिन भारत के लिए बेहद खास रहा। एक तरफ तो भरतीय क्रिकेट टीम विश्व कप में श्रीलंका से मैच जीत रही थी वहीं दूसरी ओर
इस बात की जानकारी यूनेस्को ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके दी। यूनेस्को ने अपने ट्वीट में कहा कि
"भारत के राजस्थान राज्य स्थित जयपुर शहर को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में चिन्हित किया गया।"
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यूनेस्को द्वारा किया गया ट्वीट |
इसकी खबर मिलते ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत सहित कई अन्य नेताओं ने देशवासियों को बधाई दी है।
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राजनाथ सिंह ए एन आई को इंटरव्यू देते हुए |
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया, 'यह बड़े गर्व की बात है कि हमारे गुलाबी शहर जयपुर को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरीटेज सिटी घोषित किया है। इससे राजस्थान की राजधानी जयपुर का गौरव बढ़ेगा।' उन्होंने कहा कि जयपुर को वर्ल्ड हेरीटेज साइट घोषित किया जाना सिर्फ गर्व का ही विषय नहीं है, बल्कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी। साथ ही बुनियादी ढांचे में सुधार होगा।
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ट्वीट |
भारत के इस प्राचीन शहर की खूबसूरती को निहारने के लिए दुनियाभर से लाखों की संख्या में सैलानी आते है। यहां आने वाले सैलानियों की सिफारिश के आधार पर और यहां के आर्किटेक्चर, भवन निर्माण कला, सुनियोजित व ऐतिहासिक इमारतों के कारण ही यूनेस्को ने जयपुर को विश्व धरोहर अर्थात वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा दिया है, यह फैसला यूनेस्को विश्व धरोहर समिति के 43वें सत्र में लिया गया। यह सत्र 20 जून से अजरबैजान के बाकू में चल रहा है और 10 जुलाई तक चलेगा।
जयपुर के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि विश्व धरोहर बनने के बाद निश्चित रूप से यहां सैलानियों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। जिससे कि यहां की ऐतिहासिक इमारतों के सरंक्षण को और अधिक बेहतर किया जा सकेगा। गौरतलब है कि पिछले साल भी सरकार की तरफ से यूनेस्को को विश्व धरोहर के रूप में शामिल करने की सिफारिश की गयी थी। केंद्र सरकार की तरफ से पहले ही जयपुर को स्मार्ट सिटी घोषित किया जा चुका है और इस पर काम भी चल रहा है।
गुलाबी नगरी जयपुर एक सुनियोजित विकास की एक ऐसी मिसाल है, जो परकोटे की चारदीवारी से घिरी हुई है और इसमें 7 दरवाजे हैं। जयपुर बसने से पहले कछवाहों की राजधानी आमेर हुआ करती थी। लेकिन 1727 ईसवी में पूर्व महाराज जयसिंह ने जयपुर का निर्माण शुरू करवाया। यह शहर अलग-अलग काल खंडों में बनकर तैयार हुआ।
1700 के दशक में अंबर, जो उस वक्त की राजधानी थी, वहीं पानी की कमी हो गई। जय सिंह ll ने 12 किमी दूर दूसरी राजधानी का फैसला किया है और इसे लेकर योजना बनाने लगे उन्होंने यूरोपियन शहरों की स्थापना के बारे में पढ़ा और ऐसा खाका तैयार किया जिसमें भूगोल और व्पायार को ध्यान में रखा गया।
यूं तैयार हुआ था जयपुर
चीफ आर्किटेक्ट के तौर पर विद्याधर भट्टाचार्य को जिम्मा सौंपा गया। भट्टाचार्य उस वक्त अंबर राज्य के जूनियर ऑडिटर थे। उन्होंने शिल्प शास्त्र और वास्तु शास्त्र के आधार पर शहर को तैयार किया। शहर के चारों ओर एक दीवार खड़ी की गई। पूरे शहर को 9 हिस्सों में बांटा गया। हर हिस्से में एक गेट था जो शहर के अंदर जाने का रास्ता था। यह आज पुराना जयपुर या परकोटा कहलाता है। इस शहर को बनाने में चार साल लगे और 1727 में यह बनकर तैयार हो गया।
ये स्थान है देखने लायक:
वैसे तो गुलाबी नगरी में देखने लायक बहुत कुछ है लेकिन इनमे से ज्यादा आकर्षण का केंद्र है; हवामहल, आमेर का किला, जयगढ़ का किला, नाहरगढ़ का किला, अलबर्ट हॉल, सिटी पैलेस और अलबर्ट हॉल। इन सबके अलावा जयपुर में महाराज की छतरियां, महारानी की छतरियां, सिसौदिया गार्डन, चूलगिरी की पहाड़ियां, हाथी गांव जैसे बहुत से दर्शनीय स्थल देखने को मिलेंगे।
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यूनेस्को द्वारा संरक्षित हवामहल |
आखिर क्या है यूनेस्को?
यूनेस्को एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जोकि संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी के रूप में शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति, संचार और सूचना में अपने काम के माध्यम से शांति के निर्माण, गरीबी के उन्मूलन, सतत विकास और परस्पर संवाद में योगदान देता है।। यूनेस्को का पूर्ण अर्थ है संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन। अंग्रेजी में इसे 'द यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाइजेशन' कहते है।
विश्व धरोहर समिति पहले से ही 166 स्थलों के संरक्षण की जांच कर रही है, जिनमें से 54 खतरे की सूची में शामिल हैं. अब तक 167 देशों में 1,092 स्थलों को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है।
ऐसे हुआ जयपुर का चयन -
भारत के नामांकन की शुरुआत में डीईआरसीओएस (विश्व धरोहर सेंटर फॉर कल्चरल साइट्स के लिए सलाहकार निकाय) के रूप में डेफेरल द्वारा सिफारिश की गई थी, लेकिन 21 देशों की विश्व विरासत समिति ने इस पर बहस की और चर्चा के बाद इसे विश्व विरासत सूची में शामिल करने का फैसला किया।
इन देशों ने की भारत की सहायता:
भारत के नामांकन का समर्थन करने वाले देश थे: ब्राज़ील, बहरीन, क्यूबा, इंडोनेशिया, अजरबैजान, कुवैत, किर्गिस्तान, ज़िम्बाब्वे, चीन, ग्वाटेमाला, युगांडा, ट्यूनीशिया, बुर्किना फ़ासो, बोस्निया और हेवंगगोविना, अंगोला, सेंट किट्स और नेविस। ऑस्ट्रेलिया और नॉर्वे ने शुरू में रेफरल प्रस्तावित किया था लेकिन बहस के बाद वे जयपुर शहर के शिलालेख के लिए सहमत हुए।
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