“यदि आप वही करते हैं, जो आप हमेशा से करते आये हैं तो आपको वही मिलेगा, जो हमेशा से मिलता आया है!!” — टोनी रॉबिंस

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धोनी आप सच में एक लीजेंड हैं

" मुमकिन कहाँ बार-बार,

अनहोनी का होनी होना...

जैसे संभव नहीं किसी से

धोनी के बाद "धोनी" होना...

image of m s dhoni
mahendra shing dhoni with his troffies image from google.com

'महेंद्र सिंह धोनी' ये केवल एक नाम नहीं है, ये भावना है। ये भावना है उन लाखों भारतीय क्रिकेट फैंस की जिनको 'माही' के मैदान पर आते ही अचानक से सबकुछ मुमकिन लगने लगता है। एक ऐसा खिलाड़ी जिसके आते ही पहाड़-सा लक्ष्य भी बौना प्रतीत होने लगता है। आज ऐसे महान प्रतिभा के धनी, महेंद्र सिंह धोनी का जन्मदिन है।
7 जुलाई 1981 को बिहार के रांची (जो अब झारखंड में आता है) में जन्मा भारतीय क्रिकेट का ऐसा कोहिनूर जिसकी चमक के आगे पूरा विश्व क्रिकेट जगत चकमका गया। 'धोनी' के पिता एक मामूली से पंप ऑपरेटर थे। उनकी हमेशा से इक्षा थी कि उनका बेटा पढ़ लिख कर सरकारी नौकरी करे। पर नन्हे माही के कुछ और हीं इरादे थे। शुरुआत में धोनी की रूचि फुटबॉल में थी और वह गोलकीपर बनना चाहते थे। पर आगे चल कर जब उनको उनके स्कूल की क्रिकेट टीम में जगह मिली तो उनका उसी में मन लग गया। वह बचपन से ही महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के फैन थे। आगे चल कर उनका क्रिकेट के प्रति प्रेम गहराता गया। उनके सपने काफी बड़े थे पर उन तक पहुंचना बेहद मुश्किल था। पर धोनी भी 'धोनी' थे, जिस शिद्दत और ईमानदारी के साथ उन्होंने अपने लक्ष्य का पीछा किया उससे साफ़ हो गया की एक दिन सफलता निश्चित हीं है। क्रिकेट क्लब में उनके अच्छे प्रदर्शन के कारण उन्हें 1997-98 सीज़न के वीनू मांकड़ ट्राफी अंडर सिक्सटीन चैंपियनशिप में चुन लिया गया, जहाँ उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। उसके बाद आगे चलकर टिकट कलेक्टर की नौकरी भी लगी पर उनकी नज़र अर्जुन की तरह हमेशा अपने लक्ष्य पर थी। उन्होंने घरेलु क्रिकेट में अपना जौहर दिखाना जारी रखा, हर तरफ बात हो रही थी एक नौजवान की जो जब छक्के मरता है तो बॉल स्टेडियम के पार गिरती है।

mahendra singh dhoni during T-20 cricket 

फिर आया साल 2007, मौका था ट्वेंटी-ट्वेंटी विश्व कप का। भारत की अगुवाई कर रहे थे लम्बे बालों वाले धोनी और मुकाबला था चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से। आखरी गेंद थी सामने बल्लेबाज थे मिस्बाह उल हक़ और गेंदबाज़ी की कमान सौपी गयी थी जोगिन्दर शर्मा को। इसी गेंद के लिए धोनी ने श्रीसंथ को फाइन लेग में ऊपर बुलाया। धोनी के इस करामाती फैसले को यों समझिये की मिस्बाह ने अपना अगला शॉट उधर ही खेला जिधर श्रीसंथ थे और बस फिर क्या था, भारत बन गया विश्व विजेता। इसके बाद धोनी ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। चाहे फिर 2011 का विश्व कप हो, या फिर टेस्ट में no 1 बनना हो। कप्तानी का ऐसा कोई कीर्तिमान नहीं बचा जो धोनी से अछूता रहा। हालाँकि सफलता के बाद भी धोनी ने कई उतार चढ़ाव देखे पर ये उनका दृढ निश्चय ही था जिसने उन्हें कभी टूटने नहीं दिया।








विदित है कि 'माही' अपने पहले ही मैच में शुन्य पर आउट हो गए थे। पर उन्होंने इस असफलता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और अपने बल्ले से आलोचकों को जवाब दिया। इसके बाद धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ 93 बॉल पर 148 रनों कि शानदार पारी खेली थी। उनका इस मैच में जमाया गया शतक आज भी किसी भारतीय विकेटकीपर द्वारा बनाया गया सबसे तेज़ शतक है। 2011 के बाद से भारतीय क्रिकेट का बुरा दौर चलने लगा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज गवाने के बाद उनके ऊपर काफी दबाव बनने लगा। आलोचकों ने उनके कप्तानी छोड़ने तक कि मांग कर डाली। पर धोनी ऐसी विषम परिस्थिति में भी घबराये नहीं और कप्तान कूल ने खुद और अपनी टीम पर भरोसा बनाये रखा, जिसका परिणाम ये हुआ कि 2013 में भारत ने तमाम बड़ी टीमों को धूल चटाते हुए चैंपियंस ट्रॉफी जीत ली। 2007 में भी उनपर काफी दबाव था जिसमे वह बिखरे नहीं बल्कि और निखर कर सामने आये और देश को विश्व विजेता बनाया। ये सारी खूबियाँ साफ़ दर्शाती हैं कि 'माही' कितने असाधारण हैं।
यही बात इस खिलाड़ी का कद बताता है कि सिर्फ़ आम लोग ही नहीं, वरन हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी धोनी के बहुत बड़े फैन थे। धोनी ने ना जाने कितने नौजवानो को सपना देखना सिखाया। उन्हें अपने जीवन से सीख दी की चाहे लक्ष्य कितना भी बड़ा हो पर अपने सपने से कभी पीछे मत हटो।

धोनी ने ना जाने कितने ही मौके दिए देश को जब हम सड़को पर निकले, खुशियाँ मनाई, भारत-भारत और धोनी-धोनी के नारे लगाए. इतना सब कुछ हासिल करने के बावजूद भी वह बेहद सरल स्वभाव के हैं, जो दर्शाता है कि धोनी केवल एक महान खिलाड़ी ही नहीं अपितु एक महान व्यक्ति भी हैं। उनकी ज़िन्दगी को देख कर दिल बोल उठता है "धोनी आप सच में एक लीजेंड हैं"।


mahendra singh dhoni and kapil dev

    " धोनी मेरा हीरो है। हम सचिन तेंदुलकर, वीरेंदर सहवाग के बारे में बहुत बात करते हैं, लेकिन इस लड़के में उतना ही टैलेंट है जितना कि इस गेम में किसी और के पास है।"  

                                                                                                                                                                                                                                                                                   -कपिल देव

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